Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain

तत्सम तद्भव शब्द किसे कहते है ? | Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain

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हिंदी भाषा को गहराई से जानने के लिए हमें इसके बारे में विस्तार से पढ़ना जरूरी होता है। हिंदी में ना केवल हिंदी शब्द होते हैं, बल्कि अनेक भाषाओं के शब्दों से हिंदी बनी हुए हैं। हमने अपने स्कूली दिनों में ” तत्सम शब्दों ” के बारे में अपनी हिंदी की पुस्तकों में पढ़ा ही होगा। लेकिन अभी भी ऐसे कई सारे लोग हैं, जो यह नहीं जानते हैं, कि तत्सम और तद्भव शब्द किसे कहते है ? ( Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain ).

अगर आप भी यह नहीं जानते हैं, तो आपको बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ना केवल तत्सम शब्दों के बारे में बल्कि तद्भव शब्दों के बारे में भी बताने जा रहे हैं। चलिए शुरू करते हैं :-


तत्सम शब्द किसे कहते हैं | तत्सम शब्द की परिभाषा | Tatsam Shabd Kise Kahate Hain

तत्सम का संधि विच्छेद किया जाए तो यह संस्कृत के दो प्रमुख शब्दों से मिलकर बना हुआ है। तत् और सम। संस्कृत में तत्व का अर्थ होता है – ” उसके ” और सम का अर्थ होता है – ” सामान “।

सरल भाषा में समझे तो इसका अर्थ होगा ज्यों का त्यों। अर्थात जिन संस्कृत शब्दों को हिंदी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के लिया गया है, उन्हें तत्सम शब्द कहा जाता है।

इन शब्दों में ध्वनि परिवर्तन नहीं होता। ना केवल हिंदी में बल्कि बंगाली, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़, कोंकणी, मलयालम तथा सिंगल भाषा में भी ऐसे कई सारे शब्द है, जो कि संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के लिए गए हैं, क्योंकि यह सभी भाषाएं संस्कृत भाषा से जन्मी है।

हिंदी भाषा में तत्सम शब्दों का बहुत महत्व है। क्योंकि हिंदी भी संस्कृत सीजन में हुई भाषा है। हिंदी भाषा में तत्सम शब्द निम्न प्रकार है :- क्षेत्र, अज्ञान, अग्नि, अंधकार, अमूल्य, चंद्र, आदि।


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तद्भव शब्द किसे कहते हैं | तद्भव शब्द की परिभाषा | Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain

तद्भव दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। तद और भव। तद्भव शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है, उससे बने अर्थात उससे उत्पन्न । अर्थात जो शब्द बने तो संस्कृत से ही हैं, किंतु इनकी यात्रा अन्य भाषाओं से होकर गुजरी है, जिनके कारण इनमें परिवर्तन हो गया है। तद्भव शब्द में तत् शब्द संस्कृत को दर्शाता है या संस्कृत को इंगित करता है।

इन शब्दों में परिवर्तन पाली प्राकृत तथा अभप्रांत भाषाओं के पड़ाव से गुजरने के कारण होता है। जहां एक तरफ तत्सम शब्दों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता, वहीं दूसरी ओर तद्भव शब्दों में परिवर्तन स्वीकार किया जाता है।

तद्भव शब्दों के उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  1. मुख से मुंह
  2. दुग्ध से दूध
  3. अज्ञान से अजान
  4. कर्म से काम
  5. ग्राम से गांव
  6. भ्रात से भाई

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तत्सम और तद्भव शब्दों को कैसे पहचाने ( तत्सम और तद्भव शब्दों की पहचान के नियम )

अधिकांश लोग तत्सम और तद्भव शब्दों के बीच गलती कर बैठते हैं। उन्हें दोनों शब्दों के बीच अंतर करना तथा दोनों शब्दों को पहचानना नहीं आता। यह गलती आप से ना हो इसलिए, आज हम आपको इन शब्दों को पहचानने के नियम बताने जा रहे हैं।

  • जिन तत्सम शब्दों के पीछे ” क्ष ” वर्ण का प्रयोग होता है, वही तद्भव शब्दों में  ख, या, छ, का प्रयोग हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे :- पक्षी का पंछी।
  • वहीं दूसरी ओर अगर तत्सम शब्दों में ” श्र ” का प्रयोग है, तो वहीं दूसरी और तद्भव शब्दों में ” स ” का प्रयोग किया जाता है। जैसे :- धनश्रेष्ठी का धन्नासेठी।
  • यदि तत्सम के शब्दों में शाखा प्रयोग है, तो वही तद्भव के शब्दों में ” स ” का प्रयोग हो जाता है। जैसे कि :- दीपशालका का दियासलाई।
  • यदि तत्सम के शब्दों में ” ष ” वर्ण का प्रयोग होता है, तो वही तद्भव के शब्दों में ” स ” वर्ण का प्रयोग नजर आता है। जैसे :- कृषक का किसान।
  • तत्सम के शब्दों में अधिकांश ” ऋ ” की मात्रा का प्रयोग देखने को मिलता है। जैसे कि :- कृतगृह अर्थात कचहरी।
  • तत्सम के शब्दों में ” र ” की मात्रा का भी बहुत प्रयोग किया जाता है। जैसे कि :- आम्र अर्थात आम।
  • जहां तत्सम शब्दों में ” व ” का प्रयोग होता है, वह तद्भव शब्दों में ” ब ” का प्रयोग हो जाता है। जैसे कि :- वन का बन।

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तत्सम और तद्भव शब्दों के कुछ उदाहरण | Example Of Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain

तत्सम और तद्भव शब्दों के उदाहरण निम्न प्रकार है :-

  1. तत्सम शब्द – तद्भव शब्द
  2. अकस्मात – अचानक
  3. आलस्य – आलस
  4. अशिती – अस्सी
  5. ओष्ट – ओंठ
  6. अमूल्य – अमोल
  7. अग्नि – आग
  8. अमृत – अमित
  9. अगम्य – अगम
  10. अन्यत्र – अनत
  11. आम्रचूर्ण – आमचूर
  12. अन्न – अनाज
  13. आर्द्रक – अदरक
  14. अमूल्य – अमोल
  15. आकाश – आकास
  16. अनशन  – अनसन
  17. अंजलि – अंजुली
  18. अग्रणी – अगाड़ी
  19. अंगप्रौछा – अंगौछा
  20. अमावस्या – अमावस
  21. अंगुष्ठ – अंगूठा
  22. आश्चर्य – अचरज
  23. अन्धकार – अँधेरा
  24. एकल – अकेला
  25. अक्षवाट – अखाड़ा
  26. कृषक – किसान
  27. कपाट – किवाड़
  28. कुपुत्र – कपूत
  29. कुष्ठी – कोढ़ी
  30. काक – कौआ
  31. कोण – कोना
  32. कणिका – किनकी
  33. केशरी – केहरी
  34. क्लेश – कलेश
  35. कुपच – कच्चा
  36. कूर्चिका – कूची
  37. कति – कई
  38. काष्ठगृह – कटहरा
  39. कंटफल – कटहल
  40. कटाह – कड़ाह
  41. कंकण – कंगन
  42. काष्ठ – काठ
  43. कर्ण – कान
  44. कुक्षि – कोख
  45. किंपुनः – क्यों
  46. कृष्ण – किसन
  47. क्षीर – खीर
  48. क्षार – खार
  49. क्षेत्र – खेत
  50. खनि – खान
  51. क्षत्रिय – खत्री
  52. कास – खाँसी
  53. खर्पर – खप्पर
  54. स्तम्भ – खम्भा
  55. खण्डगृह – खंडहर
  56. खर्जू – खुजली
  57. क्षेत्रित – खेती
  58. गलन – गलना
  59. ग्रीष्म – गर्मी
  60. गोमय/गोमल – गोबर
  61. कंदुक – गेंद
  62. गणन – गिनना
  63. ग्राम  – गाँव
  64. गर्दभ – गधा
  65. गर्त – गड्ढा
  66. गुण – गुन
  67. गौर – गोरा
  68. गायक – गवैया
  69. गंभीर – गहरा
  70. छिद्र – छेद
  71. छाया – छाँह
  72. छत्र – छाता
  73. शकल – छिलका
  74. योगी – जोगी
  75. यंत्र – जंतर
  76. जंघा – जाँघ
  77. ज्वलन – जलना
  78. युवा – जवान
  79. ज्येष्ठ – जेठ
  80. वत्स – बच्चा
  81. विरुप – बुरा
  82. वचन – बैन
  83. विवाह – ब्याह
  84. वातुल – बावला
  85. बरयात्रा – बारात
  86. बर्कर – बकरा
  87. भाद्रपद – भादों
  88. भगिनी – बहन
  89. बाह्य – बाहर
  90. वृश्चिक – बिच्छू
  91. भिक्षाकारी – भिखारी
  92. भिक्षा – भीख
  93. वाष्प- भाप
  94. भल्लुक – भालू
  95. भित्ति – भीत
  96. भ्रातृज्य – भतीजा
  97. भाटक – भाड़ा
  98. बुभुक्षा – भूख
  99. भ्रमर – भौंरा
  100. भागिनेय – भांजा
  101. भ्रू – भौंह
  102. भक्त – भगत
  103. विभूति – भभूत
  104. भ्रातृभार्या – भाभी
  105. अभ्यन्तर –  भीतर
  106. मरण – मरना
  107. माल्य – माला
  108. मक्षिका – मक्खी
  109. मृत्यु – मौत
  110. मुकुट – मौर
  111. मस्तक – माथा
  112. मण्डप – मँड़ुआ
  113. मुख्य – मुखिया
  114. मिष्ट – मीठा
  115. मत्सर – मच्छर
  116. माता – माँ
  117. मुद्ग – मूंग
  118. मत्स्य –   मछली
  119. महापात्र – महावत
  120. आशिष – आशीष
  121. कुमार – कुँवर
  122. कोटि – करोड़
  123. चर्मकार – चमार
  124. चित्रकार – चितेरा
  125. चैत्र – चैत
  126. घटिका – घड़ी
  127. जिह्वा – जीभ
  128. दंड – डंडा
  129. परिकूट – परकोटा
  130. प्रणाल – परनाला
  131. परपौत्र – परपोता
  132. परमार्थ – परमारथ
  133. परीक्षा – परिच्छा

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अन्तिम शब्द :

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको तत्सम शब्द किसे कहते है ( Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain ) और तत्सम तथा तद्भव शब्दों के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है।

उम्मीद करते हैं, आपको आज का यह आर्टिकल ( Tatsam Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain ) पसंद आया होगा।

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