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व्याकरण किसे कहते हैं | vyakaran kise kahate hain
हिंदी भाषा जीतनी सरल और स्पष्ट है, जितनी शायद ही कोई भाषा होगी। लेकिन हिंदी भाषा को समझने के लिए उसके आधार यानी हिंदी व्याकरण को समझाना आवश्यक है, तभी आप अच्छी हिंदी बोल व लिख सकते हैं।
विद्यार्थी जब हिंदी विषय पढ़ना सीखते हैं, तो उन्हें सबसे पहले हिंदी व्याकरण की सीख दी जाती है, ताकि वह हिंदी भाषा को अच्छी तरह से समझ सके।
लेकिन आज भी बहुत से विद्यार्थी हिंदी व्याकरण में काफी कमजोर होते है, उन्हें व्याकरण सही से समझ नहीं आता, जिस वजह से वह परीक्षा में अक्सर इस विषय में अच्छे अंक नहीं ला पाते है। इसी कारण आज हम इस लेख में व्याकरण किसे कहते हैं ? ( vyakaran kise kahate hain ) इसके कितने भेद हैं ? ( Vyakaran ke Bhed ) से संबंधित आपको सारी जानकारी प्रदान करेंगे। ताकि आप भी व्याकरण को अच्छी तरह से समझ सके।
व्याकरण किसे कहते हैं – Vyakaran kise kahate hain
जब भी हम किसी विषय को पढ़ना लिखना या बोलना सीखते हैं, तो हमें कई तरह के नियमों का पालन करना होता है | उसी तरह हिंदी भाषा भी सीखने से पहले हमें जिन नियमों का पालन करना होता है, उसे व्याकरण कहा जाता है |
व्याकरण के नियमों का पालन करके हम हिंदी भाषा को लिखने व बोलने की प्रक्रियाओं को बेहतर समझ पाते हैं | हिंदी भाषा सीखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य व्याकरण सीखना होता है, यदि लोगों को व्याकरण का ज्ञान ना हो, तो हिंदी भाषा में अच्छी पकड़ नहीं रख सकते |
व्याकरण के कीतने भेद होते है | Vyakaran Ke Bhed
किसी भी भाषा में वाक्य सबसे महत्वपूर्ण होते है, क्योंकि वाक्य से ही लोगों की भावना उनकी मनोदशा इत्यादि व्यक्त हो पाती है | इसी प्रकार हिंदी भाषा में भी वाक्य होते हैं, जो विभिन्न शब्दों के संजोग से बनते हैं तथा यह शब्द विभिन्न वर्णों के मेल से बनते हैं।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हिंदी व्याकरण के भेद भी तय किए गए हैं। बता दूं, कि हिंदी व्याकरण के मुख्य चार भेद होते हैं |
1 . वर्ण विचार
2 . शब्द विचार
3 . वाक्य विचार
4 . पद विचार
Vyakaran Ke Bhed Or Vyakaran kise kahate hain
ऊपर हमने आपको व्याकरण की परिभाषा ( Vyakaran Kise Kahate Hain ) के बारे में बताया | चलिए अब व्याकरण के भेद के बारे में विस्तार से बातें करते हैं |
1 . वर्ण विचार
हिंदी भाषा की सबसे मूल इकाई अर्थात सबसे छोटी इकाई वर्ण है | इसका मतलब यह होता है, कि 1 को और ज्यादा टुकड़े में तोड़कर नहीं लिखा जा सकता है | जैसे क, ख, ग, घ आदी।
हालांकि यह सब जानते हैं, कि हिंदी भाषा में कुल 52 वर्णों की वर्णमाला होती है, जिसे हिंदी भाषा का आधार माना जाता है | हिंदी भाषा को अच्छी तरह से समझने व सीखने के लिए वर्णमाला को सीखना समझना उच्चारण करना आना जरूरी है।
2. शब्द विचार
व्याकरण का सबसे दूसरा खंड हिंदी भाषा में शब्द को माना जाता है, यानी कि जब दो या दो से अधिक वर्ण आपस में मिलते हैं, तो समूह का कोई अर्थ निकल कर सामने आता है, जिसे शब्द कहा जाता है।
जैसे राम, कलम, सड़क आदी। यहां एक से अधिक वर्ण आपस में मिलकर शब्द बन रहे हैं | जैसे कि :- क + ल + म यहां तीन वर्ण आपस में मिलकर एक शब्द यानी ” कलम ” बना रहे हैं।
व्याकरण में शब्दों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है |
1) विकारी
2) अविकारी
1) विकारी शब्द
विकारी शब्द, वह होते हैं, जिसका इस्तेमाल वाक्य में करने पर उनका रुप ही बदल जाता है | उदाहरण के लिए ” अच्छा ” एक विकारी शब्द है, जिसे यदि वाक्य में जोड़ा जाए, तो उसका अर्थ स्वरूप दोनों ही बदल जाएगा |
जैसे कि :- ” कोलकाता एक अच्छा शहर है ” और दूसरे वाक्य में हम अच्छा को कुछ इस तरह लिख सकते हैं – ” इस गांव में सब अच्छे लोग ही रहा करते हैं “।
यहां दोनों वाक्यों में ” अच्छा ” शब्द को तो अलग तरह से लिखा गया है जैसे यह कह सकते हैं, कि ” अच्छा ” शब्द के दो अलग रूप है अच्छा और अच्छे।
विकारी शब्द को चार अलग भागों में बांटा गया है |
1 . संज्ञा
2 . सर्वनाम
3 . विशेषण
4 . क्रिया
2) अविकारी शब्द
अविकारी शब्द वह होते हैं, जिनका इस्तेमाल वाक्य में करने पर उनका रूप नहीं बदलता है |
उदाहरण स्वरूप ” जल्दी ” एक अविकारी शब्द है, जिसे हम यदि वाक्य में इस्तेमाल करें, तो इसे कुछ इस तरह लिख सकते हैं |
जैसे :- ” राधा घर जल्दी वापस आना ” | लेकिन यदि हम इसे दूसरे तरीके से लिखना चाहे, तब भी इसे हम कुछ इस तरह लिख सकते हैं| जैसे :- ” प्रिया तुम इतनी जल्दी में कहां जा रही हो ” .
इन दोनों वाक्यों में ” जल्दी ” शब्द का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन ध्यान रहे – वाक्य बदल गए, लेकिन यह शब्द बदलकर नहीं लिखा जा सका| ऐसे ही शब्दों को – ” जैसे ” किसी भी वाक्य में शामिल कर दिया जाए परंतु उसका रूप नहीं बदलता इन्हें ” अविकारी शब्द ” कहा जाता है।
अविकारी शब्द के मुख्यता 4 भेद होते हैं |
1 . क्रिया-विशेषण
2 . संबंधबोधक
3 . समुच्चयबोधक
4 . विस्मयादिबोधक
3. वाक्य विचार
जब कई शब्दों का समूह आपस में मिलकर कोई सार्थक अर्थ बनाता है, उन्हें वाक्य कहा जाता है |
जैसे :-
- ” सोहन स्कूल चला गया “
- ” सीता खाना बना रही है ” .
यहां एक से अधिक शब्द आपस में मिलकर एक नया अर्थ यानी वाक्य बना रहे हैं, जिन्हें वाक्य विचार कहा जाता है।
व्याकरण में वाक्य को तीन भागों में बांटा गया है |
1) साधारण वाक्य
2) संयुक्त वाक्य
3) मिश्रित वाक्य
1) साधारण वाक्य
साधारण वाक्य में वाक्य का विवरण स्पष्ट होते हैं, जिनमें कर्ता बहुत मुख्य होते हैं।
जैसे की :-
- राम खाना खा रहा है |
- सीता सो रही है।
यह वाक्य में राम और सीता दोनों करता है, जिन पर पूरा वाक्य टिका हुआ है।
2) संयुक्त वाक्य
वैसे वाक्य जहां दो वाक्य आपस में मिलकर एक वाक्य बनाते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहा जाता है | संयुक्त वाक्य में कोई करता मुख्य नहीं होता है |
जैसे कि :-
- सीता टीवी देख रही है और राम खाना खा रहा है |
इस वाक्य में दो अलग-अलग वाक्य आपस में मिलकर एक सरल वाक्य बना रहे हैं, लेकिन ध्यान रहे इन दोनों वाक्यों में कर्ता अलग-अलग है।
3) मिश्रित वाक्य
मिश्रित वाक्य के अंतर्गत एक वाक्य प्रधान वाक्य होता है और दूसरा उपवाक्य होता है, जो कि प्राया प्रधान वाक्य के ऊपर निर्भर करता है |
जैसे कि :-
- श्याम स्कूल से आया और थक कर सो गया |
- सीमा घर आते ही खाना खाने बैठ गई |
इन दोनों बातों में पहला वाक्य प्रधान वाक्य है और दूसरा उपवाक्य जो कि प्रधान वाक्य के करता पर ही निर्भर करता है | ऐसे वाक्यों को ही मिश्रित वाक्य कहा जाता है।
4. पद विचार
जब भी वाक्य में किसी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है तब उस शब्द को पद मिल जाते हैं जैसे कि लड़की दौड़ रही है लड़का चल रहा है इन दोनों वाक्यों में लड़का और लड़की शब्द एक स्त्रीलिंग पुलिंग कर्ता और संज्ञा है यानी कि इस वाक्य में लड़का शब्द का इस्तेमाल करने पर इसे एक पद मिल गया है।
Vyakaran kise kahate hain
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Vyakaran kise kahate hain
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अन्तिम शब्द :-
दोस्तों मुझे उम्मीद है, कि आज का यह लेख – व्याकरण किसे कहते हैं ( Vyakaran kise kahate hain ), व्याकरण के भेद कितने हैं | आपके लिए बेहद फायदेमंद रहा होगा, क्योंकि इस लेख के बाद आपको व्याकरण से संबंधित सभी सवालों के जवाब प्राप्त हो गए |
इसके अलावा यदि आपको व्याकरण से संबंधित और अधिक जानकारी चाहिए, तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं | अंत में उन तमाम विद्यार्थियों से यही कहूंगा, कि इस लेख को पढ़कर समझने की कोशिश करें, ना कि रट्टा मार कर परीक्षा में पास होने का विचार करें, क्योंकि ऐसा करने से हमारी मातृभाषा को ही हमें समझने में कठिनाई होगी।