jay jawan jay kisan ka nara kisne diya

जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया।

Contents

Jay jawan jay kisan ka nara kisne diya ( ” जय जवान जय किसान ” ) – यह नारा तो आप सब ने सुना ही होगा, क्योंकि यह इतना लोकप्रिय है, कि आज बच्चे – बच्चे के मुंह से यह नारा सुनने को मिल जाता है। लेकिन क्या आपको पता है, कि ” जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया ” था ? उसे देने के पीछे वजह क्या थी और इसे कब दिया गया था?

यदि नहीं पता तो आप बिल्कुल सही जगह आए है, क्योंकि आज हम इस लेख में आपको यह बताने वाले हैं – कि जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया। तो आइए देर किस बात की चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं, जय जवान जय किसान के विषय में संपूर्ण जानकारी।

जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया।

” जय जवान जय किसान का नारा ” स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री ” श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ” ने कहा था। लेकिन अब सवाल यह उठता है, कि आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी, कि लाल बहादुर शास्त्री जी को यह नारा देने की जरूरत पड़ी।

तो दोस्तों आपको बता दें, कि यह वह समय था, जब भारत‐ चीन युद्ध (1962) के वजह से हमारा देश आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हो चुका था। जिस समय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में कुर्सी पर बैठे तब पूरे देश में खाने के लाले पड़े हुए थे। लोग भूखे मर रहे थे। साल 1965 में मानसून काफी कमजोर रहा, फसल अच्छी नहीं हुई और देश में अकाल की नौबत आ गई। इसी साल 5 अगस्त 1965 में LOC पार कर के लगभग 30,000 से भी ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक कश्मीर पर कब्जा करने के लिए घुस आए।

लेकिन भारत ने भी हार नहीं मानी और उसी वर्ष 1965 को भारतीय सेना ने लाहौर पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तानियों के 90 टैंक नष्ट कर दिए। यह समय भारत के लिए काफी मुश्किल भरा था। इसी समय अमेरिका के PL- 480 स्कीम के अंतर्गत लाल गेहूं अमेरिका से भारत निर्यात किया जा रहा था।

लेकिन इसी दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को धमकी दी और कहा, कि यदि आपने युद्ध खत्म नहीं किया, तो अमेरिका से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी जाएगी। लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी नहीं माने उन्होंने कहा, यदि अमेरिका गेहूं निर्यात बंद करना चाहता है, तो कर दे। हम युद्ध बंद नहीं करने वाले हैं और इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका से गेहूं लेने से भी साफ मना कर दिया।



जय जवान जय किसान का नारा कब दिया।

साल 1965 अक्टूबर महीने में दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने पहली बार ” जय जवान जय किसान ” का नारा लगाते हुए देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने लोगों से सप्ताह में 1 दिन व्रत रखने की अपील की और इतना ही नहीं उन्होंने खुद भी सप्ताह में 1 दिन व्रत रखना शुरू कर दिया और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जारी रखा।

परिणाम स्वरूप भारत ने पाकिस्तान के कई इलाकों पर अधिकार कर लिया और अंत में भारत की जीत हुई। शास्त्री जी यह नारा जय जवान जय किसान देश के किसानों को कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए दिया था, उनके द्वारा दिया गया यह नारा देश के जवानों और किसानों श्रम को स्पर्श स्पष्ट करता है।

भारतीयों ने यह निश्चय कर लिया, कि कश्मीर का 1 इंच भी पाकिस्तानियों को नहीं दिया जाएगा, क्योंकि भारतीय भूमि का प्रत्येक हिस्सा भारत वासियों को अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रिय है। इस युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों की बहादुरी और वीरता के किस्से इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखे जाएंगे।

लाल बहादुर शास्त्री द्वारा कहा गया, यह नारा भारत के वीर जवानों और किसानों को संबोधित करता है। शास्त्री जी ने ठान लिया की भले ही अमेरिका से गेहूं मिले या ना मिले वह अपने देश के सम्मान को कभी झुकने नहीं देंगे और ना ही कोई समझौता करेंगे। उन्होंने दिखा दिया, कि भारतवासी भले ही भूखे मर जाएंगे, लेकिन जब बात कश्मीर पर आएगी, तो वह कभी नहीं रुकेंगे।

कौन थे – लाल बहादुर शास्त्री जी ?

लाल बहादुर शास्त्री जी आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय नामक स्थान में हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री जी महात्मा गांधी यानी बापू को अपना गुरु माना करते थे, उन्होंने गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, जिसके वजह से उन्हें अपनी जिंदगी के 7 वर्ष जेल में गुजारने पड़े थे। लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी गरीबों की सेवा में बिता दिया।

इतना ही नहीं वह देश की रेल मंत्री, परिवहन मंत्री, संचार मंत्री, वाणिज्य मंत्री, गृह मंत्री, उद्योग मंत्री तक रह चुके हैं और तो और वह पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं और अंत में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु के बाद साल 1964 वह प्रधानमंत्री चुने गए।

लाल बहादुर शास्त्री जी महान और शक्तिशाली प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पाकिस्तान से डटकर मुकाबला किया और देश के जवानों व किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ” जय जवान जय किसान का नारा दिया “। भारत देश एक बार फिर 11 जनवरी 1966 को एक महान और विनम्र राष्ट्रीय नेता को हमेशा के लिए खो दिया।



निष्कर्ष

आज हमने जाना कि ” जय जवान जय किसान ” का नारा किसने दिया और कब दिया गया। मुझे उम्मीद है, की आज के इस लेख के जरिए आप जान गए होंगे, कि जय जवान जय किसान का नारा देने के पीछे असल वजह क्या थी।

15 अगस्त 1947 को हमारा देश भारत स्वतंत्र हुआ था और तब से लेकर आज तक हर साल 15 अगस्त को बहुत ही धूमधाम के साथ पुरे देश में स्वतंत्रता का जश्न मनाया जाता है और साथ ही उन तमाम वीरो और महापुरुषों के त्याग और बलिदान को भी याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश को स्वतंत्रता दिलाने में लगा दी।

देश को आजादी दिलाने वाले कई वीरो और महापुरुषों ने भारत वासी के दिलों में जोश और उत्साह दिलाने के लिए नारे लगाए थे, ताकि देश के किसान और कमजोर लोग हार मानने के बजाय दुश्मनों के खिलाफ डटकर मुकाबला कर सके।

इन्हीं में से एक लाल बहादुर शास्त्री जी भी थे। जिन्होंने अपनी जनता को प्रोत्साहित करने के लिए जय जवान जय किसान का नारा लगाया और आज भी यह नारा सुनकर भारतीय लोगों के दिलों में जोश भर आता है और आज भी उनके द्वारा दिए गए इस नारे का इस्तेमाल देश में होने वाले रैलियों और सभाओं में अक्सर किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *