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जय हिंद का नारा किसने दिया | Jay Hind Ka Nara Kisne Diya
जय हिंद का नारा किसने दिया ? – यह प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में तथा इंटरव्यू में भी पूछा जाता है। भारतवासी होने के नाते भारत के हर नागरिक को इस प्रश्न का उत्तर मालूम होना चाहिए।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि जय हिंद का नारा किसने दिया था ? OR Jay Hind Ka Nara Kisne Diya ?
यदि आप को इस प्रश्न का उत्तर नहीं मालूम है और आप इस प्रश्न का उत्तर पाना चाहते हैं, तो हमारे आज के इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
जय हिंद नारे का अर्थ क्या है ?
दोस्तों, हमने जय हिंद का नारा अवश्य सुना होगा। ना केवल सुना होगा, बल्कि हम अक्सर जय हिंद का नारा लगाते भी हैं। राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर लोग हमेशा जय हिंद के नारे लगाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है, कि जय हिंद का अर्थ क्या होता है ? जय हिंद का नारा देशभक्तिपूर्ण नारा है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘ भारत की विजय ‘ होता है।
भारतवासी होने पर गौरव करने के लिए और भारत के उज्जवल भविष्य की कामना के लिए अक्सर यह नारा लगाया जाता है। भारत के प्रति देशभक्ति की भावना प्रकट करने के लिए इस नारे का प्रयोग किया जाता है।
जय हिंद का नारा किसने दिया ? ( Jay Hind Ka Nara Kisne Diya )
बीते लंबे समय से सभी लोग यह मानते आए हैं, की जय हिंद का सुप्रसिद्ध नारा भारत को ” नेताजी सुभाष चंद्र बोस ” द्वारा दिया गया। लेकिन दोस्तों यह सत्य नहीं है।
भारत को ” जय हिंद ” का नारा सुभाष चंद्र बोस के सचिव और दुभाषिए ” जैनुल अबिदीन हसन ” द्वारा दिया गया था। नेता जी ” सुभाष चंद्र बोस ” जी ने तो इस नारे को प्रचलित किया था।
” जैनुल अबिदीन हसन ” – हैदराबाद के रहने वाले थे। इतना ही नहीं, बल्कि वे नेताजी के साथ काम करने के लिए जर्मनी में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर भारत आ गए थे।
पूर्व नौकरशाह नरेंद्र लूथर द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘ लींजेंडोट्स ऑफ हैदराबाद ‘ में उन्होंने कई सारे लेख लिखे हैं, जिसमें उन्होंने जय हिंद के नारे के जन्म का भी जिक्र किया है। उनकी यह पुस्तक अपने रूमानी मूल और मिश्रित संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर से जुड़े दस्तावेजी साक्ष्यों, साक्षात्कारों और निजी अनुभवों पर आधारित है।
उन्होंने अपनी पुस्तक में जय हिंद के नारे से संबंधित एक बहुत ही दिलचस्प लेख लिखा है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, कि इस नारे को हैदराबाद के एक कलेक्टर के बेटे ” जैनुल अबिदीन हसन ” द्वारा दिया गया था, जो कि अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के सिलसिले में जर्मनी में रहा करते थे।
अपनी इस किताब में नरेंद्र लूथर आगे लिखते हैं, कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत को आजाद कराने के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की थी, तो वह देश विदेश में रह रहे भारतीयों से समर्थन जुटाने के लिए जर्मनी भी गए थे। Germany मैं ही ” जैनुल आबिदीन हसन ” कि मुलाकात सुभाष चंद्र बोस से हुई, जहां पर ” जैनुल आबिदीन हसन ” नेता जी से काफी प्रभावित हुए और उनके साथ इस आंदोलन में शामिल होने भारत आ गए।
लूथर ने अपनी किताब में लिखा है कि, ” नेताजी ” वहां भारतीय युद्ध कैदियों और अन्य भारतीयों से मिले और उनसे अपनी लड़ाई में शामिल होने की अपील की। हसन ने नेताजी से मिले और उनकी देशभक्ति एवं बलिदान की भावना से प्रेरित होकर अपनी पढ़ाई खत्म कर उनके साथ काम करने की बात कही।
सुभाष चंद्र बोस ने किया प्रचलित :-
उनके द्वारा दिया गया यह नारा सभी को बहुत पसंद आया और यह तुरन्त भारतीयों में प्रचलित हो गया एवं नेता जी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्ध घोष के रूप में प्रचलित किया गया।
सुभाष चंद्र बोस द्वारा इस नारे को प्रचलित किया गया और यही कारण है, कि अक्सर हम इस बात से यह समझ लेते हैं, कि इस नारे की उत्पत्ति सुभाष चंद्र बोस द्वारा ही की गई थी। किंतु दोस्तों ऐसा नहीं है, यह नारा ” जैनुल आबिदीन हसन ” द्वारा दिया गया था।
लेखक ने हसन के बारे में बताते हुए यह लिखा है, कि आगे चलकर वे इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर बन गए और बर्मा ( म्यामांर ) से भारत की सीमा पार तक के मार्च में हिस्सा लिया। उस समय पर आई एन ए ( INA ) इंफाल तक पहुंच चुकी थी लेकिन सप्लाई और हथियारों में भारी कमी के कारण उसे वहां से पीछे हटना पड़ा।
लूथर ने अपनी किताब में साफ तौर पर लिखा है कि, नेताजी अपनी सेना और आजाद भारत के लिए एक भारतीय अभिभावन संदेश चाहते थे। बहुत सारी सलाहें मिलीं। हसन ने पहले ” हलो ( Hello ) ” शब्द दिया। इस पर नेताजी ने उन्हें डाट दिया। फिर उन्होंने जय हिंद का नारा दिया जो नेताजी को पसंद आया और इस तरह जय हिंद आई एन ए ( INA ) और क्रांतिकारी भारतीयों के अभिवादन का आधिकारिक रूप बन गया। बाद में इसे देश के आधिकारिक नारे के तौर पर अपनाया गया।
लूथर की किताब काफी बेहतरीन है, और इसमें काफी दिलचस्प लेख का संस्मरण है, इस किताब में कई सारी कहानियां है, और करीब 70 शख्सियतों, लघुकथाओं और संस्मरणों का जिक्र है।
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निष्कर्ष:-
तो दोस्तों आज का हमारा यह आर्टिकल यहीं पर समाप्त होता है। उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल ( Jay Hind Ka Nara Kisne Diya ) पसंद आया होगा तथा इसमें लिखी गई सभी बातें भी आपको अच्छी तरह से समझ में आ गई होंगी।
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