Pratyay Kise Kahate Hain

प्रत्यय किसे कहते हैं, प्रत्यय के भेद | Pratyay Kise Kahate Hain

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Pratyay Kise Kahate Hain : आज का विषय है ” प्रत्यय किसे कहते हैं, प्रत्यय के कितने भेद हैं “। प्रत्यय का हिंदी वाक्य में बहुत जगह प्रयोग होता है, इसलिए हमें इसके बारे में जरूर जानना चाहिए।

प्रत्यय का इस्तेमाल यू तो हमारी आम ज़िन्दगी मे कुछ खास नहीं है, लेकिन हिंदी व्याकरण का एक जरुरी हिस्सा होने के कारण इसकी जानकारी रखना जरुरी है।

प्रत्यय किसे कहते हैं | Pratyay Kise Kahate Hain | Pratyay Ki Paribhasha 

प्रत्यय की परिभाषा ( Pratyay Kise Kahate Hain ) :- ऐसे शब्द जो किसी भी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ को परिवर्तित कर देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है।

प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति+अय। प्रति का अर्थ होता है – ” साथ में, पर बाद में ” और अय का अर्थ होता है – चलने वाला।

अतः अगर इसका अर्थ देखा जाए, तो वह होता है – ” साथ में पर बाद में चलने वाला ” । प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और ना ही इसका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है।

Pratyay Kise Kahate Hain के कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं:-

  1. भला + आई = भलाई
  2. सुगंध + इत = सुगंधित
  3. सामाज + इक = सामाजिक
  4. हिम + आलय = हिमालय
  5. खटा + आस = खटास
  6. भूलना + अकड़ = भुलक्कड़

इसी प्रकार इन शब्दों में आई, इत, इक, आलाय, आस, अकड़ यह प्रत्यय शब्द हैं।


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प्रत्येक के भेद | Pratyay Ke Bhed 

प्रत्येक के दो भेद होते हैं:-

  1. कृत प्रत्यय
  2. तद्धित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय किसे कहते हैं ?

ऐसे प्रत्यय जो किसी क्रिया के धातु के अंत में लगकर संज्ञा या विशेषण शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं। इसके प्रयोग से जो नए शब्द बनते हैं, कृदंत कहलाते हैं।

कृत प्रत्यय के उदाहरण इस प्रकार से हैं:-

  1. लेख + अक = लेखक
  2. धाव + अक = धावक
  3. सहाय + अक = सहायक
  4. पाल + अक = पालक
  5. सह + अन = सहन
  6. ने + अन = नयन
  7. मोह + अन = मोहन
  8. पठ + अन = पठन
  9. भक्ष + अण = भक्षण
  10. चर + अन = चरण
  11. घट + ना = घटना
  12. मान + अनीय = माननीय
  13. सूख + आ = सूखा
  14. सिला + आई = सिलाई
  15. उड़ + आन = उड़ान

अब आइए बात करते है, कृत प्रत्यय के भेदो के बारे में। कृत प्रत्यय के कुल छह भेद होते हैं:-

  1. कृतवाचक कृत प्रत्यय
  2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
  3. भाववाचक कृत प्रत्यय
  4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
  5. करणवाचक कृत प्रत्यय
  6. क्रिया वाचक कृत प्रत्यय

1. कृतवाचक कृत प्रत्यय :- जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कृतवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।

जैसे:- नायक, गायक, लेखक, पाठक, कृपालु, दयालु, लड़ाकू, गवैया नचैया, रिक्वेया, पढ़नेवाला, रखनेवाला, खेलनेवाला, पालनहार, तारणहार, राखन्हार।

2. विशेषण वाचक कृत प्रत्यय :- ऐसे शब्द जो किसी शब्द धातु के अंत में जुड़कर विशेषण वाचक शब्दों का निर्माण करते हैं । उन्हें विशेषण वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: याचित, कथित, लिखित, पठनीय असहनीय, सराहनीय, आदरणीय।

3. भाववाचक कृत प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो धातुओं के अंत में जोड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें हम भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: मेल, समज, चाल, अकड़, झटका, मटका, घेरा, लचका, पछतावा, बुलावा, दिखावा, घबराहट, सरसराहट, गुराहट, थकान, मिलान, उठान।

4. कर्मवाचक क्रित् प्रत्यय :- ऐसे प्रत्यय जो धातुओं के अंत में जुड़ कर कर्म बोधक शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें कर्मवाच्य कृत प्रत्यय कहा जाता है।

जैसे: कहानी, चटनी, कटनी, भूतनी, खिलौना, बिलोना, बिछोना, खाना, वाना, गाना, दिखाना।

5. करण वाचक कृत प्रत्यय :- ऐसे प्रत्यय जो धातुओं के अंत में जुड़ कर कर्म के माध्यम या साधन का बोध कराने वाले शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें करण वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: झूला, मेला, डेरा, दामन, उत्तरण, जाडन, लेखनी, छलनी, कतरनी।

6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय :- जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से हमें क्रिया के होने का भाव पता चले उसे हम क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: चलता, खेलता, बहता, पाया, गया, खोया, बैठा, मारा, सूखा, दौड़ना, सोना, मारना।

अभी तक हमने प्रत्यय की परिभाषा, Pratyay Kise Kahate Hain और Pratyay Ke Bhed के बारे में जानकारी प्राप्त की। आइए अब प्रत्यय के दूसरे भेद के बारे में जान लेते हैं।



2. तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं ?

वे प्रत्यय जो क्रिया पदों के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के साथ मिलकर एक नए शब्द का निर्माण करते हैं, उन्हें हम तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

तद्धित प्रत्यय के कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं:-

  1. छात्र + आ = छात्रा
  2. मिठा + आस = मिठास
  3. पराया + पन = परायापन
  4. देव + ई = देवी
  5. एक + ता = एकता
  6. अच्छा + आई = अच्छाई
  7. मम + ता = ममता
  8. लड़क + पन = लडकपन
  9. मानव + ता = मानवता
  10. सुंदर + ता = सुंदरता
  11. बुढ़ा + पा = बुढापा
  12. लघु + ता = लघुता
  13. बढ़ा + ई = बढ़ाई

तद्धित प्रत्यय के भेद :-

तद्धित प्रत्यय के कुल सात भेद होते हैं:-

  1. कृतवाचक तद्धित प्रत्यय
  2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
  3. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
  4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
  5. उन्नता वाचक तद्धित प्रत्यय
  6. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
  7. अपव्यवाचक तद्धित प्रत्यय

1. कृतवाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों के अंत में जोड़कर कृत वाचक शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें कृतवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: नारी, पुजारी, भिखारी, शिकारी, नकलची, खजांची, अफीमची, कलमदान, फूलदान, कूड़ादान, शिल्पकार, गीतकार, पत्रकार, सपेरा, बसेरा, सुनार, लोहार, चमार।

2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा या सर्वनाम विशेषण शब्दों के अंत में जोड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: चतुराई, भलाई, चौड़ाई, लंबाई, चिकनाहट, कड़वाहट, सुगबुगाहट, कालीमां, गरिमा, पूर्णिमा, सावधानी, गोली, सर्दी, मानवता, दुर्बलता, मित्रता, महत्त्व, बंधुत्व, नेतृत्व।

3. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के गुणों का बोध कराने वाले शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: अगला, लाडला, पिछला, बटाऊ, भगाऊ, कराऊ, ठंडा, गंदा, रेला, दसवां, पांचवा, ग्यारहवां, दूषित, पंडित, खंडित। 

4. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर संतान बोधक शब्दों का निर्माण करते हो, उन्हें अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: आदित्य, राघव, दानव, वासुदेव, जानकी, मैथिली, केकई, शांडिल्य, कात्यायन, वात्सायन।

5. सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर संबंधबोधक शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: घड़ियाल, ससुराल, विकराल, भांजा, भतीजा, आत्मजा, बहनोई, नंदोई, भारतीय, नारकीय, स्वर्गीय।

6. उनतावाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो किसी भी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जोड़कर लघुता बोधक शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें हम उनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: गुड़िया, खटिया, डिबिया, लाडली, टिकली, चिपली, मुखड़ा, बछड़ा, टुकड़ा, छतरी, मठरी, बांसुरी, कलुआ, बबुआ।

7. स्त्री वाचक तद्धित प्रत्यय :- वे प्रत्यय जो किसी भी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जोड़कर पुल्लिंग से स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें स्त्री वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे: काकी, लड़की, हरनी, छोटी, ठकुराइन, पंडिताइन, मास्टर आईना, नागिन, मोरनी, भटनी, जाटनी।


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अंतिम विचार :

आज हमने प्रत्यय की परिभाषा ( Pratyay Kise Kahate Hain ) और उसके भेदों ( Pratyay Ke Bhed ) की भी सारी जानकारी देने का प्रयास किया है, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आए, तो कृपया कमेंट करें और शेयर करना ना भूलें।

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